तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
अर्थ- पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
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शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और shiv chalisa lyrics in hindi pdf download कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥